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Psalms 13:2
(RV)
Revised Version
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HOV
मैं
कब
तक
अपने
मन
ही
मन
में
युक्तियां
करता
रहूं,
और
दिन
भर
अपने
हृदय
में
दुखित
रहा
करूं,
कब
तक
मेरा
शत्रु
मुझ
पर
प्रबल
रहेगा?