Bible Language Cross References for the verse Luke 2:0 in HOV
- 1 और फरीसियों और सदूकियों ने पास आकर उसे परखने के लिये उस से कहा, कि हमें आकाश का कोई चिन्ह दिखा।
- 2 उस ने उन को उत्तर दिया, कि सांझ को तुम कहते हो कि खुला रहेगा क्योंकि आकाश लाल है।
- 3 और भोर को कहते हो, कि आज आन्धी आएगी क्योंकि आकाश लाल और धुमला है; तुम आकाश का लक्षण देखकर भेद बता सकते हो पर समयों के चिन्हों का भेद नहीं बता सकते?
- 4 इस युग के बुरे और व्यभिचारी लोग चिन्ह ढूंढ़ते हैं पर यूनुस के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन्हें न दिया जाएगा, और वह उन्हें छोड़कर चला गया॥
- 5 और चेले पार जाते समय रोटी लेना भूल गए थे।
- 6 यीशु ने उन से कहा, देखो; फरीसियों और सदूकियों के खमीर से चौकस रहना।
- 7 वे आपस में विचार करने लगे, कि हम तो रोटी नहीं लाए।
- 8 यह जानकर, यीशु ने उन से कहा, हे अल्पविश्वासियों, तुम आपस में क्यों विचार करते हो कि हमारे पास रोटी नहीं?
- 9 क्या तुम अब तक नहीं समझे? और उन पांच हजार की पांच रोटी स्मरण नहीं करते, और न यह कि कितनी टोकिरयां उठाईं थीं?
- 10 और न उन चार हजार की सात रोटी; और न यह कि कितने टोकरे उठाए गए थे?
- 11 तुम क्यों नहीं समझते कि मैं ने तुम से रोटियों के विषय में नहीं कहा फरीसियों और सदूकियों के खमीर से चौकस रहना।
- 12 तब उन को समझ में आया, कि उस ने रोटी के खमीर से नहीं, पर फरीसियों और सदूकियों की शिक्षा से चौकस रहने को कहा था।
- 13 यीशु कैसरिया फिलिप्पी के देश में आकर अपने चेलों से पूछने लगा, कि लोग मनुष्य के पुत्र को क्या कहते हैं?
- 14 उन्होंने कहा, कितने तो यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला कहते हैं और कितने एलिय्याह, और कितने यिर्मयाह या भविष्यद्वक्ताओं में से कोई एक कहते हैं।
- 15 उस ने उन से कहा; परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो?
- 16 शमौन पतरस ने उत्तर दिया, कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।
- 17 यीशु ने उस को उत्तर दिया, कि हे शमौन योना के पुत्र, तू धन्य है; क्योंकि मांस और लोहू ने नहीं, परन्तु मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है, यह बात तुझ पर प्रगट की है।
- 18 और मैं भी तुझ से कहता हूं, कि तू पतरस है; और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा: और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे।
- 19 मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजियां दूंगा: और जो कुछ तू पृथ्वी पर बान्धेगा, वह स्वर्ग में बन्धेगा; और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा, वह स्वर्ग में खुलेगा।
- 20 तब उस ने चेलों को चिताया, कि किसी से न कहना! कि मैं मसीह हूं।
- 21 उस समय से यीशु अपने चेलों को बताने लगा, कि मुझे अवश्य है, कि यरूशलेम को जाऊं, और पुरनियों और महायाजकों और शास्त्रियों के हाथ से बहुत दुख उठाऊं; और मार डाला जाऊं; और तीसरे दिन जी उठूं।
- 22 इस पर पतरस उसे अलग ले जाकर झिड़कने लगा कि हे प्रभु, परमेश्वर न करे; तुझ पर ऐसा कभी न होगा।
- 23 उस ने फिरकर पतरस से कहा, हे शैतान, मेरे साम्हने से दूर हो: तू मेरे लिये ठोकर का कारण है; क्योंकि तू परमेश्वर की बातें नहीं, पर मनुष्यों की बातों पर मन लगाता है।
- 24 तब यीशु ने अपने चेलों से कहा; यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इन्कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले।
- 25 क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा।
- 26 यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?
- 27 मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा।
- 28 मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कितने ऐसे हैं; कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्वाद कभी न चखेंगे।
- 1 किसी बूढ़े को न डांट; पर उसे पिता जान कर समझा दे, और जवानों को भाई जान कर; बूढ़ी स्त्रियों को माता जान कर।
- 2 और जवान स्त्रियों को पूरी पवित्रता से बहिन जान कर, समझा दे।
- 3 उन विधवाओं का जो सचमुच विधवा हैं आदर कर।
- 4 और यदि किसी विधवा के लड़के बाले या नाती पोते हों, तो वे पहिले अपने ही घराने के साथ भक्ति का बर्ताव करना, और अपने माता-पिता आदि को उन का हक देना सीखें, क्योंकि यह परमेश्वर को भाता है।
- 5 जो सचमुच विधवा है, और उसका कोई नहीं; वह परमेश्वर पर आशा रखती है, और रात दिन बिनती और प्रार्थना में लौलीन रहती है।
- 6 पर जो भोगविलास में पड़ गई, वह जीते जी मर गई है।
- 7 इन बातों की भी आज्ञा दिया कर, ताकि वे निर्दोष रहें।
- 8 पर यदि कोई अपनों की और निज करके अपने घराने की चिन्ता न करे, तो वह विश्वास से मुकर गया है, और अविश्वासी से भी बुरा बन गया है।
- 9 उसी विधवा का नाम लिखा जाए, जो साठ वर्ष से कम की न हो, और एक ही पति की पत्नी रही हो।
- 10 और भले काम में सुनाम रही हो, जिस ने बच्चों का पालन-पोषण किया हो; पाहुनों की सेवा की हो, पवित्र लोगों के पांव धोए हो, दुखियों की सहायता की हो, और हर एक भले काम में मन लगाया हो।
- 11 पर जवान विधवाओं के नाम न लिखना, क्योंकि जब वे मसीह का विरोध करके सुख-विलास में पड़ जाती हैं, तो ब्याह करना चाहती हैं।
- 12 और दोषी ठहरती हैं, क्योंकि उन्होंने अपने पहिले विश्वास को छोड़ दिया है।
- 13 और इस के साथ ही साथ वे घर घर फिर कर आलसी होना सीखती है, और केवल आलसी नहीं, पर बकबक करती रहती और औरों के काम में हाथ भी डालती हैं और अनुचित बातें बोलती हैं।
- 14 इसलिये मैं यह चाहता हूं, कि जवान विधवाएं ब्याह करें; और बच्चे जनें और घरबार संभालें, और किसी विरोधी को बदनाम करने का अवसर न दें।
- 15 क्योंकि कई एक तो बहक कर शैतान के पीछे हो चुकी हैं।
- 16 यदि किसी विश्वासिनी के यहां विधवाएं हों, तो वही उन की सहायता करे, कि कलीसिया पर भार न हो ताकि वह उन की सहायता कर सके, जो सचमुच में विधवाएं हैं॥
- 17 जो प्राचीन अच्छा प्रबन्ध करते हैं, विशेष करके वे जो वचन सुनाने और सिखाने में परिश्रम करते हैं, दो गुने आदर के योग्य समझे जाएं।
- 18 क्योंकि पवित्र शास्त्र कहता है, कि दांवने वाले बैल का मुंह न बान्धना, क्योंकि मजदूर अपनी मजदूरी का हक्कदार है।
- 19 कोई दोष किसी प्राचीन पर लगाया जाए तो बिना दो या तीन गवाहों के उस को न सुन।
- 20 पाप करने वालों को सब के साम्हने समझा दे, ताकि और लोग भी डरें।
- 21 परमेश्वर, और मसीह यीशु, और चुने हुए स्वर्गदूतों को उपस्थित जान कर मैं तुझे चितौनी देता हूं कि तू मन खोल कर इन बातों को माना कर, और कोई काम पक्षपात से न कर।
- 22 किसी पर शीघ्र हाथ न रखना और दूसरों के पापों में भागी न होना: अपने आप को पवित्र बनाए रख।
- 23 भविष्य में केवल जल ही का पीने वाला न रह, पर अपने पेट के और अपने बार बार बीमार होने के कारण थोड़ा थोड़ा दाखरस भी काम में लाया कर।
- 24 कितने मनुष्यों के पाप प्रगट हो जाते हैं, और न्याय के लिये पहिले से पहुंच जाते हैं, पर कितनों के पीछे से आते हैं।
- 25 वैसे ही कितने भले काम भी प्रगट होते हैं, और जो ऐसे नहीं होते, वे भी छिप नहीं सकते॥