Bible Versions
Bible Books

Psalms 22 (HOV) Hindi Old BSI Version

1 हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया? तू मेरी पुकार से और मेरी सहायता करने से क्यों दूर रहता है? मेरा उद्धार कहां है?
2 हे मेरे परमेश्वर, मैं दिन को पुकारता हूं परन्तु तू उत्तर नहीं देता; और रात को भी मैं चुप नहीं रहता।
3 परन्तु हे तू जो इस्राएल की स्तुति के सिहांसन पर विराजमान है, तू तो पवित्र है।
4 हमारे पुरखा तुझी पर भरोसा रखते थे; वे भरोसा रखते थे, और तू उन्हें छुड़ाता था।
5 उन्होंने तेरी दोहाई दी और तू ने उन को छुड़ाया वे तुझी पर भरोसा रखते थे और कभी लज्जित हुए॥
6 परन्तु मैं तो कीड़ा हूं, मनुष्य नहीं; मनुष्यों में मेरी नामधराई है, और लोगों में मेरा अपमान होता है।
7 वह सब जो मुझे देखते हैं मेरा ठट्ठा करते हैं, और ओंठ बिचकाते और यह कहते हुए सिर हिलाते हैं,
8 कि अपने को यहोवा के वश में कर दे वही उसको छुड़ाए, वह उसको उबारे क्योंकि वह उससे प्रसन्न है।
9 परन्तु तू ही ने मुझे गर्भ से निकाला; जब मैं दूधपिउवा बच्च था, तब ही से तू ने मुझे भरोसा रखना सिखलाया।
10 मैं जन्मते ही तुझी पर छोड़ दिया गया, माता के गर्भ ही से तू मेरा ईश्वर है।
11 मुझ से दूर हो क्योंकि संकट निकट है, और कोई सहायक नहीं।
12 बहुत से सांढ़ों ने मुझे घेर लिया है, बाशान के बलवन्त सांढ़ मेरे चारों ओर मुझे घेरे हुए हैं।
13 वह फाड़ने और गरजने वाले सिंह की नाईं मुझ पर अपना मुंह पसारे हुए है॥
14 मैं जल की नाईं बह गया, और मेरी सब हडि्डयों के जोड़ उखड़ गए: मेरा हृदय मोम हो गया, वह मेरी देह के भीतर पिघल गया।
15 मेरा बल टूट गया, मैं ठीकरा हो गया; और मेरी जीभ मेरे तालू से चिपक गई; और तू मुझे मारकर मिट्टी में मिला देता है।
16 क्योंकि कुत्तों ने मुझे घेर लिया है; कुकर्मियों की मण्डली मेरी चारों ओर मुझे घेरे हुए है; वह मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं।
17 मैं अपनी सब हडि्डयां गिन सकता हूं; वे मुझे देखते और निहारते हैं;
18 वे मेरे वस्त्र आपस में बांटते हैं, और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डालते हैं।
19 परन्तु हे यहोवा तू दूर रह! हे मेरे सहायक, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!
20 मेरे प्राण को तलवार से बचा, मेरे प्राण को कुत्ते के पंजे से बचा ले!
21 मुझे सिंह के मुंह से बचा, हां, जंगली सांढ़ों के सींगो में से तू ने मुझे बचा लिया है॥
22 मैं अपने भाइयों के साम्हने तेरे नाम का प्रचार करूंगा; सभा के बीच में तेरी प्रशंसा करूंगा।
23 हे यहोवा के डरवैयों उसकी स्तुति करो! हे याकूब के वंश, तुम सब उसकी महिमा करो! हे इस्त्राएल के वंश, तुम उसका भय मानो!
24 क्योंकि उसने दु:खी को तुच्छ नहीं जाना और उससे घृणा करता है, ओर उससे अपना मुख छिपाता है; पर जब उसने उसकी दोहाई दी, तब उसकी सुन ली॥
25 बड़ी सभा में मेरा स्तुति करना तेरी ही ओर से होता है; मैं अपने प्रण को उससे भय रखने वालों के साम्हने पूरा करूंगा
26 नम्र लोग भोजन करके तृप्त होंगे; जो यहोवा के खोजी हैं, वे उसकी स्तुति करेंगे। तुम्हारे प्राण सर्वदा जीवित रहें!
27 पृथ्वी के सब दूर दूर देशों के लोग उसको स्मरण करेंगे और उसकी ओर फिरेंगे; और जाति जाति के सब कुल तेरे साम्हने दण्डवत करेंगे।
28 क्योंकि राज्य यहोवा की का है, और सब जातियों पर वही प्रभुता करता है॥
29 पृथ्वी के सब हृष्टपुष्ट लोग भोजन करके दण्डवत करेंगे; वह सब जितने मिट्टी में मिल जाते हैं और अपना अपना प्राण नहीं बचा सकते, वे सब उसी के साम्हने घुटने टेकेंगे।
30 एक वंश उसकी सेवा करेगा; दूसरा पीढ़ी से प्रभु का वर्णन किया जाएगा।
31 वह आएंगे और उसके धर्म के कामों को एक वंश पर जो उत्पन्न होगा यह कहकर प्रगट करेंगे कि उसने ऐसे ऐसे अद्भुत काम किए॥
Copy Rights © 2023: biblelanguage.in; This is the Non-Profitable Bible Word analytical Website, Mainly for the Indian Languages. :: About Us .::. Contact Us
×

Alert

×