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1 बस एक मूर्ख ही ऐसे सोचता है कि परमेश्वर नहीं होता। ऐसे मनुष्य भ्रष्ट, दुष्ट, द्वेषपूर्ण होते हैं। वे कोई अच्छा काम नहीं करते।
2 सचमुच, आकाश में एक ऐसा परमेश्वर है जो हमें देखता और झाँकता रहता है। यह देखने को कि क्या यहाँ पर कोई विवेकपूर्ण व्यक्ति और विवेकपूर्ण जन परमेश्वर को खोजते रहते हैं।
3 किन्तु सभी लोग परमेश्वर से भटके हैं। हर व्यक्ति बुरा है। कोई भी व्यक्ति कोई अच्छा कर्म नहीं करता, एक भी नहीं।
4 परमेश्वर कहता है, “निश्चय ही, वे दुष्ट सत्य को जानते हैं। किन्तु वे मेरी प्रार्थना नहीं करते। वे दुष्ट लोग मेरे भक्तों को ऐसे नष्ट करने को तत्पर हैं, जैसे वे निज खाना खाने को तत्पर रहते हैं।
5 किन्तु वे दुष्ट लोग इतने भयभीत होंगे, जितने वे दुष्ट लोग पहले कभी भयभीत नहीं हुए! इसलिए परमेश्वर ने इस्राएल के उन दुष्ट शत्रु लोगों को त्यागा है। परमेश्वर के भक्त उनको हरायेंगे और परमेश्वर उन दुष्टो की हड्डियों को बिखेर देगा।
6 इस्राएल को, सिय्योन में कौन विजयी बनायेगा हाँ, परमेश्वर उनकी विजय को पाने में सहायता करेगा। परमेश्वर अपने लोगों को बन्धुआई से वापस लायेगा, याकूब आनन्द मनायेगा। इस्राएल अति प्रसन्न होगा।
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