1 हे परमेश्वर, राजा की सहायता कर ताकि वह भी तेरी तरह से विवेकपूर्ण न्याय करे। राजपुत्र की सहायता कर ताकि वह तेरी धार्मिकता जान सके।
2 राजा की सहायता कर कि तेरे भक्तों का वह निष्पक्ष न्याय करें। सहायता कर उसकी कि वह दीन जनों के साथ उचित व्यवहार करे।
3 धरती पर हर कहीं शांती और न्याय रहे।
4 राजा, निर्धन लोगों के प्रति न्यायपूर्ण रहे। वह असहाय लोगों की सहायता करे। वे लोग दण्डित हो जो उनको सताते हो।
5 मेरी यह कामना है कि जब तक सूर्य आकाश में चमकता है, और चन्द्रमा आकाश में है। लोग राजा का भय मानें। मेरी आशा है कि लोग उसका भय सदा मानेंगे।
6 राजा की सहायता, धरती पर पड़ने वाली बरसात बनने में कर। उसकी सहायता कर कि वह खेतों में पड़ने वाली बौछार बने।
7 जब तक वह राजा है, भलाई फूले—फले। जब तक चन्द्रमा है, शांति बनी रहे।
8 उसका राज्य सागर से सागर तक तथा परात नदी से लेकर सुदूर धरती तक फैल जाये।
9 मरूभूमि के लोग उसके आगे झुके। और उसके सब शत्रु उसके आगे औधे मुँह गिरे हुए धरती पर झुकें।
10 तर्शीश का राजा और दूर देशों के राजा उसके लिए उपहार लायें। शेबा के राजा और सबा के राजा उसको उपहार दे।
11 सभी राजा हमारे राजा के आगे झुके। सभी राष्ट्र उसकी सेवा करते रहें।
12 हमारा राजा असहायों का सहायक है। हमारा राजा दीनों और असहाय लोगों को सहारा देता है।
13 दीन, असहाय जन उसके सहारे हैं। यह राजा उनको जीवित रखता है।
14 यह राजा उनको उन लोगों से बचाता है, जो क्रूर हैं और जो उनको दु:ख देना चाहते हैं। राजा के लिये उन दीनों का जीवन बहुत महत्त्वपूर्ण है।
15 राजा दीर्घायु हो! और शेबा से सोना प्राप्त करें। राजा के लिए सदा प्रार्थना करते रहो, और तुम हर दिन उसको आशीष दो।
16 खेत भरपूर फसल दे। पहाड़ियाँ फसलों से ढक जायें। ये खेत लबानोन के खेतों से उपजाऊँ हो जायें। नगर लोगों की भीड़ से भर जाये, जैसे खेत घनि घास से भर जाते हैं।
17 राजा का यश सदा बना रहे। लोग उसके नाम का स्मरण तब तक करते रहें, जब तक सूर्य चमकता है। उसके कारण सारी प्रजा धन्य हो जाये और वे सभी उसको आशीष दे।
18 यहोवा परमेश्वर के गुण गाओं, जो इस्राएल का परमेश्वर है! वही परमेश्वर ऐसे आश्चर्यकर्म कर सकता है।
19 उसके महिमामय नाम की प्रशंस सदा करों! उसकी महिमा समस्त संसार में भर जाये! आमीन और आमीन!
20 (यिशै के पुत्र दाऊद की प्रार्थनाएं समाप्त हुई।)